अटूट पाषाण की अदृश्य दरार दिखलाती
मुस्कान के नेपथ्य अंतर्मन की सिसकी
बिन जल व्यय जलचर का शांत विच्छेद
खंडित दर्पण, प्रतिबिम्ब दुनिया है जिसकी
नभ हुआ रत्न जड़ित, रश्मि सदैव सतरंगी
अंश ब्रह्माणड के हुए, जर्जर सम्पूर्ण सृष्टि
हाशिये के दर्शन कराती चटकी हुई ऐनक
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