Thursday, 28 September 2023

मन की मेनका

 

लोभ से उपजित भय

सिंघासन से उत्कलन का भय

महत्वकांक्षा और अभिलाषा का सिंघासन

अर्जित के संधारण की अभिलाषा

निरंतर अधिक अपेक्षा की महत्वकांक्षा

ये समस्त मन के भाव बुनते षड़यंत्र

और अवतरित होती मन की मेनका

आत्मिक तप को भंग करती

नृत्य एवं भंगिमा का सम्मोहन

थिरकती हुई कल्पना

नव स्वर्ग निर्माण का अवरोधक बन

एक नव लोभ की उत्पत्ति


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