Tuesday, 31 January 2023

श्वास की आहट में चीत्कार

 श्वास की आहट में चीत्कार 

हिलते पर्दों में विलीन साये 

तिड़कती रात के तिमिर में 

कितने प्रेत हैँ मन ने पाए.

आँगन पार है राहत की ड्योढ़ी 

वहां माँ की ओट में साहस बिखरे 

बीच सघन औ विकराल आँगन में 

अवगुणठित भय सुनहरी रात में निखरे.

जीवन काल है हमारा ये आँगन 

नीरूपाय मन और साहस का मंथन 

विशाल रूप लेती भाटा की क्यारी में 

विजयी ध्वज का साहस बीज में स्पंदन.

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