Tuesday, 31 January 2023

ये जो प्रचंड रश्मि में भस्म हो

 ये जो प्रचंड रश्मि में भस्म हो 

करते हैँ रेत में रेशे परस्पर प्रयत्न 

क्या यही बनते हैं रत्नाकर में कौँधते 

गहराई से परिपूर्ण अनमोल रत्न.

ऊर्जास्वित नभ की लालिमा बरसे 

स्वच्छ पर्यावरण हो शीतल श्वेत 

भूमि हो हरयाली अनुरंजित सदा 

इस भांति तिरंगा हर हृदय ले समेट.

मानस पटल जो व्योम पर विराजमान 

हृदय में दया एवं मानवता समुद्र लेहरायें 

आओ इस दिवस प्रण लें हम और 

प्रतिदिन राष्ट्रीय पर्व हम सब मनाएं.

No comments:

Post a Comment