Thursday, 4 January 2024

अवर्णा

  


क्यारी से रिस्ते वर्ण 

हैँ भरे उसकी आँखों में 

पुष्पगुच्छ हैँ खिलते झूलते 

उसकी मुस्कान की डाली पर 

पर तरकश हैँ उसके सज्जित 

अकेली वो जीवन युद्ध में अग्रसर 

आत्मविश्वास का कवच में छिपी 

चित्रफलक के हाशिये पर समेटती 

रश्मि शर छितरती सतरंगी सुंदरी

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